फिर कुछ इस दिल को बेक़रारी है
सीना जोया-ए-ज़ख्म-ए-कारी है
(जोया : to search)
फिर जिगर खोदने लगा नाखुन
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लालाकारी है
(आमद-ए-फ़स्ल : arrival of the harvest, लालाकारी : spawning a particular red flower)
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेखुदी बेसबब नहीं ग़ालिब
कुछ तो है जिसकी पर्दा-दारी है
Jagjeet Singh mesmerizing with his poignant voice over Galib's masterpiece. The original gazal has quite a few more shers than the recitation.
2 comments:
wah guru wah --alok
Bhaari gazal hai bhai...
Translation ke baad bhi jyada kuch samajha nahin aaya...
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